मधुमास (कविता)



पाटल पंकज जूही महुआ औ’ अमराई
फूले पलाश हैं जो वाे प्रीत की गहराई।।

मादकता मधुवन की चितवन है अलसाई
चकवे की चाहत में चकवी है बौराई।।

गंगा तट पर कितनी ये वात सुहानी है
मधुपति के स्वागत में मदहोस जवानी है।।

मधुमास के स्वागत में कलिका जो दीवानी है
फागुन का ये मौसम मदहोश जवानी है।।

कोई जाकर पूछो क्या हुक पुरानी है
उपवन में कोयल की जो कूक सुहानी है ।।

विरह विभावरी की ये बात बेमानी है
ऊषा और रजनी की ये प्रेम कहानी है।।

दरिया और सागर की क्या प्रीत पुरानी है
प्रियतम के नयनों में मौजों की रवानी है।।

फागुन का ये मौसम मदहोश जवानी है
फागुन का ये मौसम मदहोश जवानी है।।

प्रस्तुति 
डाॅ.धनञ्जय कुमार मिश्र 
दुमका (झारखण्ड)
814101

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