सत्यम् शिवम् सुन्दरम्










पावन सावन । सावन अर्थात् बाबा भोले नाथ का माह। बाबा सबके प्रिय, सबके आराध्य, सबकी मनोकामना पूर्ण करने वाले। सद्यः प्रसन्न होने के कारण ‘आशुतोष’ और अन्याय के खिलाफ ताण्डवकर्ता ‘रूद्र‘ बन जाते हैं। भक्तों के त्रिविध दुःख को दूर करने के लिए त्रिशूल धारण करते हैं। भक्तों का कल्याण करने के कारण ‘शिव’ हैं। समस्त जीवों से समभाव रखते हैं। देव, दानव, नाग, किन्नर, यक्ष, गन्धर्व, राक्षस, असुर, नर, वानर सबके प्रिय, सबके आराध्य, सबके शम् (कल्याण) करने वाले इसलिए तो शंकर हैं। आर्य, अनार्य, द्रविड़, कोल , भील,  आदिवासी, किरात सबके प्रति समान कृपालु व दयालु हैं। वनस्पति प्रेमी होने के कारण वनवासियों के प्रिय और आराध्य। नागों को गले से लगा रखा है। आडम्बर और दिखावा से दूर। श्मशान में जीवन का रहस्य समझाते हुए भूतनाथ। काल के भी काल अर्थात् महाकाल। क्या वेद क्या पुराण सभी ग्रन्थ शिव का गान करते हैं। भाँग, बेलपत्र, नारियल, धतूरा, पुष्प, जल सब प्रिय हैं बाबा को। जन जन की आस्था और  अटूट विश्वास ही महादेव को सर्वमान्य और सर्वाधिक लोकप्रिय बनाता है। जनवादी देवता - शिव। सैकड़ो कोस पैदल चलकर तभी तो  जन सैलाब उमड़ता है जलार्पण के लिए। इतिहास कहता है शिव राम के प्रिय थे तो रावण के भी।  बाबा की पूजा, अर्चना, आराधना, स्तुति विविध प्रकार से, विविध रूपों से विश्वभर में होती है। भारत, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मंगोलिया, इन्डोनेशिया, वर्मा आदि देशों में सर्वमान्य और सर्वोपकारी देव हैं महादेव। सूर्य, चन्द्र, अग्नि, वायु, आकाश, पृथिवी, जल और भक्त रूपी अष्टमूर्तियों के रूप में विराजमान, सृष्टि के कण-कण में निवास करने वाले शिव ही सत्य हैं।  जो सत्य है वही कल्याणकारक है। सत्य और कल्याणकर्ता ही जगत् में सुन्दर होता है। सत्यम् शिवम् सुन्दरम् के साकार रूप बाबा सबका कल्याण करें।
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डाॅ0 धनंजय कुमार मिश्र
अभिषद् सदस्य सह विभागाध्यक्ष संस्कृतविभाग
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका (झारखण्ड)



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