तिष्यरक्षिता



अशोक की परिणीता

मगध सम्राट की तिष्यरक्षिता

जी हाँ ! देवानां प्रिय प्रियदर्शी महाराज अशोक की कनिष्ठतमा प्रियतमा।



अनुराग वा सौन्दर्य

मोहित सम्राट

सौन्दर्य होगा

अनुरूप मर्यादा

अनुकूल परम्परा

तभी किया होगा पाणिग्रहण

मगधपति महाराज अशोक ने।



है इतिहास साक्षी

शान्तनु हुए मुग्ध

निषाद कन्या पर

देवव्रत ने राह निकाली

पिता के लिए

निभाया अलौकिक अनुपम

पुत्रधर्म

कर ली भीष्म प्रतिज्ञा

ब्रह्मचर्य की

आजीवन ब्रह्मचर्य की ।



दशरथ हुए प्रसन्न

कैकेयी की शूरता पर

दो वर मिला धरोहर

पित्राज्ञा शिरोधार्य कर

किया वनगमन ।



पùावती पुत्र कुणाल

अघोषित युवराज

शील व संयम की प्रतिमूर्ति

सम्राट अशोक का लाडला

कंचनमाला का स्वामी

मगध का भविष्य।



यौनिकता !

दुस्साहस

घृणित यौनाकांक्षा

तिष्यरक्षिता यह क्या घ्

पुत्रसम है कुमार

लोकापवाद



धर्मनिष्ठ कुणाल

शान्त स्वर करबद्ध प्रतिकार

भारत का लाल

एक मिशाल।



ईर्ष्या व प्रतिशोध में धधकती

यौनिकता में अंधी तिष्यरक्षिता

मगध की कलंकिनी

हाय ! कैसी राजाज्ञा

कैसा कुचक्र



कुणाल

शोभन नयन

लुटा युगल लोचन

भटका वन वन

कंचनमाला संग



जय जय जय हे भारत भारती

अक्षुण्ण रहे माँ तव संस्कृति।।



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