काल भैरव – समय के जाग्रत प्रहरी

 *काल भैरव – समय के जाग्रत प्रहरी*

प्रस्तुति: डॉ. धनंजय कुमार मिश्र,विभागाध्यक्ष संस्कृत ,सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका झारखंड 

-------

सावन का महीना शिव की आराधना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस मास में भक्तजन जलाभिषेक, व्रत और भक्ति से भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। पर बहुत कम लोग जानते हैं कि शिव के विकराल रूप काल भैरव की पूजा भी सावन में विशेष महत्त्व रखती है।

काल भैरव का नाम सुनते ही मन में एक अजीब-सी श्रद्धा और भय दोनों उत्पन्न होते हैं। यह स्वरूप हमें सिखाता है कि ईश्वर केवल करुणामय ही नहीं, न्यायकारी भी हैं। काल भैरव समय के स्वामी हैं—काल यानी समय, और भैरव यानी भय का नाश करने वाले।

पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी अपने पाँच मुखों के घमंड में शिवजी का अपमान कर बैठे। शिव ने कुछ नहीं कहा, पर उनके क्रोध से एक प्रचंड ऊर्जा प्रकट हुई। यही शक्ति भैरव के रूप में प्रकट हुई। उन्होंने ब्रह्मा जी के पाँचवे मुख को काट दिया और संसार को यह संदेश दिया कि अहंकार का अंत निश्चित है।

सावन का महीना हमें आत्मचिंतन की ओर ले जाता है। हम अपनी गलतियों को पहचानें और उनसे ऊपर उठें। यही काल भैरव की शिक्षा है कि जीवन में अनुशासन जरूरी है।

भगवान शिव ने भैरव को काशी का कोतवाल नियुक्त किया। आज भी वाराणसी में मान्यता है कि भैरव बाबा की अनुमति के बिना कोई वहां स्थायी रूप से निवास नहीं कर सकता। उनकी सवारी कुत्ता, सजगता और निष्ठा का प्रतीक है।

सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद भक्त भैरव के मंदिर जाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि बिना काल भैरव की कृपा के भोलेनाथ की पूजा भी अधूरी रह जाती है।

सावन में भैरव की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस समय साधक उपवास करते हैं, दीपक जलाते हैं और भैरव अष्टक का पाठ करते हैं। कहा जाता है कि इससे जीवन में आने वाले अनिश्चित भय, आर्थिक संकट और मानसिक अशांति दूर होती है।

भैरव का भस्म से लिपटा शरीर हमें यह स्मरण कराता है कि सब कुछ नश्वर है। केवल भक्ति और सच्चाई ही शाश्वत हैं।

आज के समय में जब मनुष्य समय की महत्ता भूल रहा है, काल भैरव का स्मरण हमें चेतावनी देता है—"जो समय को व्यर्थ करता है, समय उसे व्यर्थ कर देता है।"

सावन में शिव की आराधना के साथ यदि हम काल भैरव की पूजा भी करें, तो हमें शक्ति, विवेक और साहस प्राप्त होता है। भैरव यह सिखाते हैं कि जीवन में अनुशासन के बिना कोई उन्नति नहीं।

निश्चय ही सावन की पवित्रता में काल भैरव की भक्ति का विशेष महत्त्व है। यह महीना आत्मशुद्धि, समय की महत्ता और कर्तव्यबोध का अवसर है। आइए, सावन में भैरव बाबा को प्रणाम करें और उनसे यह प्रार्थना करें— "हे काल भैरव! हमें समय का आदर करना सिखाइए, अहंकार का त्याग कराइए और अपने आशीर्वाद से भयमुक्त कीजिए।"

*जय काल भैरव! हर हर महादेव!*

Comments

Popular posts from this blog

नीतिशतकम्

संज्ञान सूक्त ऋग्वेद (10/191)