नभः स्पृशं दीप्तम्'
डॉ धनंजय कुमार मिश्र
एस के एम विश्वविद्यालय दुमका, झारखंड
भारतीय वायु सेना का आदर्श वाक्य 'नभः स्पृशं दीप्तम्',
भारतीय वायुसेना आज 8 अक्टूबर 2023 को अपना 90 वां वायुसेना दिवस मना रही है।
भारतीय वायुसेना आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना बन चुकी है। कभी सिर्फ पांच लोगों के साथ शुरू हुआ वायुसेना का सफर आज लाखों ऑफिसर और जवानों तक जा पहुंचा है। भारतीय वायुसेना ने आपदाओं के दौरान उल्लेखनीय कार्य क्षमता दिखाई है।
वायुसेना जब से अस्तित्व में आई है तब से लेकर आज तक अपने ध्येय वाक्य 'नभः स्पृशं दीप्तम्' को सच करती आ रही है।
यह आदर्श वाक्य को श्रीमद्भगवद्गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। युद्ध से पहले जिस समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था, उस समय अर्जुन परेशान हो जाते हैं। विराट स्वरूप एक पल के लिए अर्जुन के मन में भय पैदा कर देता है।
इसी समय बोले गए एक श्लोक 'नभ:स्पृशं दीप्तमनेकवर्ण व्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम्, दृष्ट्वा हि त्वां प्रव्यथितान्तरात्मा धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो' से वायुसेना से अपना आदर्श वाक्य लिया हैं।
इसका अर्थ है, ‘हे विष्णो, आकाश को स्पर्श करने वाले, देदीप्यमान, अनेक वर्णों से युक्त तथा फैलाए हुए मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत अन्तःकरण वाला मैं धीरज और शांति नहीं पाता हूं।’
नभः स्पृशं दीप्तम् के अपने आदर्श वाक्य के अनुरूप, भारतीय वायु सेना ने दशकों से असाधारण निपुणता का परिचय दिया है। उन्होंने राष्ट्र को सुरक्षित किया है और आपदाओं के दौरान उल्लेखनीय कार्य क्षमता दिखाई है।
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