गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रदर्शन वर्जित

 




भाद्रपद (भादो) शुक्ल पक्ष चतुर्थी अर्थात्  गणेश चतुर्थी । आज के दिन भगवान गणेश की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक दश दिनों के गणेश महोत्सव की शुरुआत  आज से ही की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी पर रात्रि में चंद्र देव के दर्शन नहीं करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से झूठा कलंक अथवा आक्षेप लगने की संभावना होती है। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करना अपशगुन माना जाता है। 

गलती से अगर चंद्रमा के दर्शन हो जाएँ तो उन्हें प्रणाम कर लें और घर आकर के मिष्ठान अथवा फल फूल उनके निमित्त उनको समक्ष दिखा कर दान कर देना चाहिये । गणेश जी के किसी मंत्र का जाप करना  या गणेश स्तोत्र  का पाठ करना चाहिए ।


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 

भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को शाप दे दिया था। चन्द्रमा ने परिहास में उपहास  कर दिया था लम्बोदर गणेश जी का । पौराणिक कथा के अनुसार एक बार अपने जन्म तिथि पर गणेश जी भोजन करके घर लौट रहे थे। उनके मोटे व लम्बे  पेट को देखकर चंद्र देवता हँसने लगे तब गणेश जी ने उनको शाप दे दिया कि तुम्हारा शरीर प्रतिदिन शरीर घटता चला जाएगा और तुम अंत में मृत्यु को प्राप्त हो जाओगे।


उस शाप की मुक्ति के लिए चन्द्रमा ने  भगवान शंकर की तपस्या की।  शंकर भगवान जी  प्रसन्न हुए  और चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया। इसके बाद चंद्र देव ने गणेश जी से शाप मुक्ति का उपाय पूछा। भगवान गणेश जी कहा मैं केवल आपको शाप से मुक्त होने का उपाय बताता हूँ। केवल भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी को जिस दिन तुमने  मेरा अपमान किया था उस तिथि को तुम्हारे दर्शन करने पर लोगों को झूठा आरोप या कलंक लग सकता है। शेष दिनों में आप जिस गति से घटोगे फिर उसी गति से बढ़कर पूर्णता प्राप्त करोगे।

आज भी यह मान्यता है। अतः चन्द्र दर्शन आज के दिन वर्जित है ।



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