सुरम्य प्राकृत दृश्यों की गोद में आशुतोष बाबा भोले नाथ का धाम शिवगादी

- झारखण्ड प्रदेश हरे भरे पर्वत पठारों , नदी झरनों, खनिज सम्पदाओं से भरा पड़ा है । धर्म और आस्था के सैकड़ों स्थान यहाँ के वन कन्दराओं में स्थित हैं । प्रसिद्ध बाबा वैद्यनाथधाम दे वघर जिले में अवस्थित है तो बाबा बासुकिनाथ दुमका जिले में । ये दोनों जिले संताल परगना प्रमंडल में स्थित हैं । भगवती गंगा संताल परगना के साहेबगंज जिले को स्पर्श कर बंगाल की ओर प्रवाहित होती है । साहेबगंज ही नहीं सम्पूर्ण संताल परगना में मनोरम प्राकृतिक दृश्य एवं संसाधन मौजूद हैं । साहेबगंज जिले के बरहेट प्रखण्ड में सुरम्य प्राकृतिक दृश्यों के बीच भगवान् आशुतोष का एक प्रसिद्ध पौराणिक धाम *बाबा गजेश्वरनाथ धाम* ” *शिवगादी* ” अवस्थित है । यह एक दर्शनीय, पौराणिक पूजनीय मंदिर हैं जो प्रकृतिक सोंदर्य से परिपूर्ण राजमहल की पहाड़ियो के मनोरम दृश्यो एवं झर-झर गिरते झरने की नैसर्गिक सौन्दर्य के बीच एक गिरि गह्वर देवालय है। मानचित्र में यह मंदिर झारखण्ड प्रान्त के सहेबगंज जिला अन्तर्गत बरहेट प्रखण्ड से 6 km की उत्तर की ओर अवस्थित है । बाबा गजेश्वर नाथ का यह मंदिर पहाड़ी की ऊँचाई पर स्थित है ।अतः श्रद्धलुओं को 195 सीढ़ियों के चढ़ाई के पश्चात् मंदिर का दर्शन होता है। गुफा में अवस्थित बाबा के प्राकृतिक पीताम्बरी शिवलिंग पर ऊपरी चट्टानों से अनवरत जल टपकते रहते है जो अद्भुत एवं अनुपम है। बाबा गजेश्वरनाथ धाम ( शिवगादी ) की अन्तः कथा इस प्रकार है।गजेश्वरनाथ का शिवलिंग दानवराज गजासूर के द्वारा प्रस्थापित है। शिव पुराण में गजासुर नामक दैत्य का वर्णन आता है जो बलशाली महिषासुर का सुयोग्य पुत्र था। इसने हजारो वर्षो तक अंगुठे के बल पर खड़े होकर उग्र तपस्या कर भगवान शंकर से वर प्राप्त किया। वर प्राप्त कर वह अत्यंत बलशाली और दुराचारी हो गया। इसके अत्याचार और भय से ऋषि मुनि देवतागण त्राहिमाम् – त्राहिमाम् करने लगे। ऋषि मुनि व देवताओं ने भगवान शंकर की स्तुति की। उनकी करूण पुकार सुनकर भगवान शंकर ने गजासुर का संहार किया। मरते समय भी गजासुर ने भगवान शंकर की स्तुति की जिससे भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर कहा तुम्हारे द्वारा स्थापित यह शिवलिंग तुम्हारे ही नाम से प्रसिद्ध होगा। लोग इसे गजेश्वर धाम के नाम से जानेंगे। कहा जाता है कि भगवान शंकर जब नंदी पर सवार होकर गजासुर का वध कर रहे थे तब नंदी दोनों पैरो पर खड़ा हो गया। नंदी के उसी दो पैरौ के निशान एक चट्टानो पर पड़ गया जो आज भी मौजूद है। वहीं से निरन्तर प्रवाहमान जल ही शिवगंगा के नाम से प्रसिद्ध है। एक दूसरी मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अर्जुन को भगवान शंकर जी का दर्शन इसी पर्वत पर हुई थी। बाबा गजेश्वर नाथ धाम में अवस्थित पीताम्बरी शिवलिंग प्राकृतिक है। गर्भ गृह (गुफा) मे प्रवेश करने के पश्चात् बाबा गजेश्वर नाथ महादेव के पीताम्बरी शिवलिंग के दर्शन होते है। शिवलिंग के ठीक ऊपर की चट्टानों से बारहो महीने बूंद – बूंद कर जल टपकते रहता है। ऐसा प्रतीत होता है प्रकृति स्वयं ही निरंतर भगवान शंकर का जलाभिषेक करती रहती है। शिवलिंग के ठीक सामने मैया पार्वती एवं शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा स्थापित है। गुफा के अन्दर ही गणेश एवं कार्तिकेय की मूर्ति भी स्थापित है। शिवलिंग के बाँई ओर गुफा के अन्दर एक और गुफा है। कहा जता है कि इस गुफा मार्ग से प्राचीन काल में ऋषि महात्मा उत्तरवाहिनी गंगा राजमहल से जल लाकर बाबा का जलाभिषेक एवं पूजा अर्चना किया करते थे। वर्तमान समय मे इस गुफा के मुख को बंद कर दिया गया है। मंदिर के बाहर दाँयी ओर एक दूसरी सीढ़ी है जो शिवगंगा तक गयी है। यहाँ एक चट्टान पर नन्दी के दो पैरों के निशान हैं । खुर रूपी गर्त मे सालो भर यहाँ तक की चिलचिलाती गर्मी में भी जल विद्यमान रहता है जो शिवगंगा के नाम से जाने जाते है। शिवगादी में आने वाले भक्त शिवगंगा का दर्शन करना नही भूलते। श्रावण मास मे जो काँवरिया राजमहल गंगा घाट से जल उठाते है वो दुर्गम पहाड़ी मार्ग से शिवगादी मंदिर पहुँचते है। बाबा गाजेश्वर नाथ धाम मंदिर के गर्भ गृह पर्वत गुफा में स्थित है । बाबा गजेश्वर नाथ धाम मंदिर के गर्भ गृह (गुफा) प्रवेश द्वार के ऊपर बिलकुल सीधा उठा हुआ पर्वतराज एक विशाल गजराज की तरह प्रतीत होता है। विशाल पर्वत निहित इस गर्भगृह गुफा के प्रवेश द्वार के ऊपर विद्यमान दुर्लभ अक्षय वट वृक्ष भारत वर्ष में बोध गया के बाद यहाँ पाए गए हैं। इस वट वृक्ष की जड़े प्रवेश द्वार के बाँई ओर मंदिर तक फैली हुई है। जो देखने से लगता है मानो भगवान शंकर के जटाएँ लहलहा रही है। यह वृक्ष मनोकामना कल्पतरु के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि इस कल्पतरु के जड़ में पत्थर बाँधने से बाबा गजेश्वर नाथ अपनी भक्तों की सारी मनोकामनाएँ अवश्य पूर्ण करते है। इसके बगल में झर-झर गिरते हुए झरने भगवान शंकर के जटा से अविरल बहते हुए गंगा की धारा का अहसास दिलाते है। ऐसा लगता है भगवान शंकर गंगा की वेग को अपनी जटा में समेट कर मंद – मंद कर अमृत जल पृथ्वी पर प्रवाहित कर रहे है। इस जल से स्नान करने पर शरीर की सारी थकाने मिट जाती है और मन प्रफुलित हो उठाता है। गिरि गुफा मे प्रवेश करने से पहले भक्त गणों को गुफा के ठीक ऊपर से गिरते झरने के जल से पवित्र कर देता है। बाबा गजेशवर नाथधाम ( शिवगादी ) का इतिहास इस प्रकार मिलता है । लगभग 15 वीं शताब्दी में यह मंदिर आंशिक रूप से आम लोगो के नजर में आया। 16 वीं शताब्दी में राजा मानसिंह के द्वारा इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद से ही यह लोक प्रसिद्ध होते चला गया। पूर्व में इस मंदिर तक जाने का रास्ता दुर्गम एवं कठिन था। दुर्गम पहाड़ियों में आदिवासियो द्वारा भगवान आशुतोष पूजित होते रहे और आदिवासियों ने ही इस मंदिर का नाम *शिवगादी* अर्थात् शिव का घर रखा।

 संथाल विद्रोह के नायक अमर शहीद सिदो – कान्हू इस मंदिर में पूजा – अर्चना करते थे। तब से यह संथालो के आस्था का भी प्रमुख केन्द्र बन गया। श्रावण मास में यहाँ का दृश्य पूर्ण भक्तिमय हो जाता है। बाबा गजेश्वरनाथधाम “शिवगादी” में सालो भर श्रद्धालु आते रहते है,पर शिवरात्रि और श्रावणी मेले में सहस्राधिक कांवरिया एवं श्रद्धालु आते है और बाबा के इस दरबार में भक्तिमय परिदृश्य में रम जाते है। लोगो में ऐसी आस्था है कि बाबा गजेश्वरनाथ के इस दिव्य कामना लिंग का दर्शन और स्पर्श मात्र से ही समस्त पापो से मुक्ति मिल जाती है एवं मन को अपार शांति और आनंद की अनुभूति होती है। श्रावण मास में कांवरिया फरक्का (पश्चिम बंगाल), साहेबगंज एवं उत्तर वाहिनी गंगा घाट राजमहल से जल लाकर बाबा गजेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते है। यहाँ यात्रियों के ठहरने के लिए अनेक निः शुल्क धर्मशालाएं , चिकित्सा कैंप, पेयजल, स्नानघर , शौचालय, पार्किंग आदि की व्यवस्था है। शिवगादी प्रबंध समिति श्रद्धालुओं एवं यात्रियों के लिए हमेशा तत्पर रहती है। धार्मिक आस्था के इस प्रांगण में बाबा सबकी मनोकामना पूर्ण करें । पुरातन पौराणिक मंदिर तक तीर्थ यात्रा हेतु यात्री गण की जानकारी के लिए जानकारी - *शिवगादी* आने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन बरहरवा जं॰ है जो हावड़ा-दिल्ली लूप लाईन में स्थित है। यहाँ से बरहेट से बस , टैक्सी , ओटो हर समय शिवगादी के लिए उपलब्ध है। इन स्थानों से शिवगादी की दुरी (सड़क मार्ग से) इस प्रकार है :- निकतम रेलवे स्टेशन – बरहरवा जं॰ 26 km साहेबगंज – 50 km पाकुड़ -50 km गोड्डा – 60 km दुमका -100 km देवघर – 160 km हर हर महादेव । ऊँ नमः शिवाय।। आईये शिवगादी चलें ।🙏

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