हर शाख पे उल्लू बैठा है..........




सारे विश्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं । कोरोना संकट समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है । झारखण्ड राज्य की स्थिति भी अच्छी नहीं कही जा सकती । सरकार कहती है खजाना खाली है । खजाना बुंद बुंद से भरता है। नागरिकों को ईमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए ।  लेकिन लोभ और मोह का जबरदस्त जकड़न हमारे अन्दर इतना है कि सामान्य शिष्टाचार भी हम भूलने लगे। प्रशासन का भय नहीं रहा। ऐसी ही अनुभूति अब होने लगी है । 

लाॅकडाउन में सरकार ने ढील क्या दी दुमका में दुकानदारों की चांदी है । मारवाड़ी चौक पर प्लास्टिक का समान बेचने वाले दुकानदार से हजारों रूपये का समान खरीदने के बाद भी बिल नहीं दिया जा रहा है । मांगने पर कच्चा बिल थमा कर ग्राहक ही नही सरकार को भी चूना लगाया जा रहा है । ये दुकानदार इतने 
बेखौफ है कि पक्का बिल मांगने पर ग्राहकों से झगड़ा करने पर भी उतारू हो जाते हैं । स्थानीय प्रशासन को संज्ञान लेना चाहिए ।
दुमका उपराजधानी है। लेकिन इस शहर के प्रायः दुकानदारों की मनमानी हाट बाजार वाली ही है। लेन देन कैश में ही करते हैं । डिजिटल पेमेन्ट कहने पर भी नहीं करते। सिर्फ कच्चे पर काम करना इनका लक्ष्य है । कीमत में भी एक रूपता नहीं है । दूसरी ओर शहर में कुछ छोटे दुकानदार भी पाॅश मशीन, डिजिटल लेनदेन,  बिना मांगे ही पक्का बिल देना जिसमें जी एस टी संलग्न रहता है, दिया करते हैं । झारखंड के अन्य शहरों में डिजिटल लेनदेन का प्रचलन है, कम्प्यूटर पर ऑटोमैटिक बिल जेनरेट कर ग्राहकों को दिया जाता है पर दुमका तो अपने आप में निराला शहर बन गया है । इस बात को जिम्मेदार अधिकारी भी जानते हैं पर संज्ञान लेना उचित नहीं समझते। दुमका प्रशासन को राजस्व चोरी रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए ।
डॉ धनंजय कुमार मिश्र 
दुमका (झारखण्ड)

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