प्रदोष व्रत शिव की उपासना

 



*डाॅ.धनंजय कुमार मिश्र*


हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विशेष उपासना का विधान है। शास्त्रों में इस दिन के लिए कई नियम और पूजा विधि बताए गए हैं। जिन्हें करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।

सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन नियम और पूजा विधि को ध्यान में रखते हुए महादेव की आराधना करता है, उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि प्रदोष व्रत से जुड़े नियमों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। साथ ही इस व्रत से जुड़े नियमों का उल्लेख स्कंद पुराण में विस्तार से किया गया है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत से जुड़े नियम, पूजा विधि और मंत्र।


शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष व्रत के दिन व्यक्ति को सुबह के समय स्नान-ध्यान कर के भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।

व्रत की अवधि में नमक का सेवन बिलकुल ना करें और इस दिन किसी से भी विवाद मोल लेने से बचें। साथ ही इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन निश्चित रूप से किया जाना चाहिए।व्रत के दिन तामसिक भोजन का सेवन बिलकुल न करें। साथ ही प्याज, लहसुन, मांस इत्यादि से भी दूर रहें। इसके साथ इस दिन तंबाकू और मदिरा का सेवन ना करें।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का ध्यान और पाठ करते रहें।

*नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।*

*नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ।*

*वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय ।*

*चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम: शिवायः ।।*

महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करना चाहिए। 

*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।*

*उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।*



प्रदोष व्रत  नियम


शास्त्रों में बताया गया है कि बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है। इसलिए सुबह स्नान-ध्यान के बाद संध्या काल में भी एक बार फिर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान शिव की षोडशोपचार पूजन करें और प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करें। पूजा के बाद भगवान शिव की आरती अवश्य करें और प्रसाद ग्रहण करें।



हर हर महादेव। ।

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