बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व होली


 



जब  कोयल की कूक सुनाई देने लगे, गौरैया चहकने लगें, पेड़ों की शाखाओं पर बौर खिलने लगे, तापमान न ज्यादा ठंडा और न ज्यादा गर्म होने लगे, गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा चलने लगे, प्रकृति हरियाली चादर ओढ़ती दिखे, सुबह नशीली और रूमानी होने लगे, सरसों के पीले पीले फूल खिलने लगें, पाटल सुर्ख लाल हो जाए, पलाश अपनी पूरी जवानी पर हो.. तो यूं समझिए ऋतुराज वसंत का आगमन हो चुका है। 

फाल्गुन मास में वसंत के आगमन के साथ होता है होली का आगाज। होली रंगों, प्रेम, मस्ती, सद्भावना और आपसी मेलजोल का उत्सव है। यह त्यौहार जाति, भाषा और धर्म की सभी बाधाओं को तोड़ता है। यह त्यौहार वसंत ऋतु का स्वागत करता है और सर्दियों को अलविदा कहता है. इसलिए इस पर्व को वसंतोत्सव और मदनोत्सव भी कहा जाता है। यह त्यौहार अच्छी फसलों का भी प्रतीक है क्योंकि इस वक्त किसानों की फसलें पूरी तरह से तैयार होकर खेतों में लहलहा रही होती हैं।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला उत्सव होली आनंद व उल्लास  से भरा रंगों का पर्व  है । यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्यौहारों की ख़ास बात यह है की इसके मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्यौहारों में विशेष स्थान रखता है।

हमारी भारतीय संस्कृति का सबसे ख़ूबसूरत रंग होली के त्यौहार को माना जाता है। सभी त्यौहारों की तरह होली के त्यौहार के पीछे भी कई मान्यताएं प्रचलित है। 

होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास है। प्राचीन समय में हिरण्यकश्यपु  नाम का एक दानव था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था। हिरण्यकश्यपु स्वयं को भगवान मानता था। हिरण्यकश्यपु का एक पुत्र था  प्रह्लाद । वह भगवान श्री  विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु का प्रबल विरोधी था। उसने  प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से बहुत रोका। लेकिन प्रह्लाद ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी। इससे नाराज़ होकर हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को जान से मारने का प्रयास किया। इसके लिए हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। उसके बाद होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन जिस पर प्रभु श्री विष्णु  की कृपा हो उसे क्या हो सकता है और प्रह्लाद आग में सुरक्षित बचा रहा जबकि होलिका उस आग में जल कर भस्म हो गई।

यह पौराणिक आख्यान  हमें  बताती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। 

आइये इस होली पर हम अपनी बुराई को नष्ट कर अच्छाई को अंगीकार करें ।

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