वैदिकवाङ्मये छन्दशास्त्रम् (वैदिक वाङमय में छन्दशास्त्र)
डाॅ0 धनंजय कुमार मिश्र वैदिक वाङ्मय भारतीय मनीषा का संचित कोष है। इसके विविध विधाओं ने अखिल विश्व के विद्वानों को अपनी ओर आकृष्ट किया है। इसमें प्रकृति की गोद में बैठे ऋषियों के उद्गार हैं , कर्मकाण्ड की पूर्ण आस्था है, काव्य की मधुर अभिव्यक्ति है , अनन्त में सूक्ष्म के अवधारण की जिज्ञासा है, तार्किक मेधा की गवेषणा है, तो विज्ञान के विविध पक्षों का उन्मीलन भी है। जहाँ वेदत्रयी, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद् वैदिक वाङ्मय के बृहद् भण्डागार हैं वहीं वेदांग वेदार्थ को सरलता से समझने समझाने के लिए वेद भगवान् के अंगस्वरूप हैं। कहा भी गया है - ‘‘वेदः अङ्गयन्ते ज्ञायन्ते अमीभिः इति वेदाङ्गानि’’ अर्थात् जिससे वेदों के अर्थों को जाना जाता है, वे वेदांग कहलाते हैं। वेदांग वेदों के भाग नहीं हैं अपितु वे वेदों के स्वरूप के रक्षक हैं जो अर्थों को समझने-समझाने में सहायक होते हें। वेदांगों को जाने बिना व