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पावन सावन और शिव का स्वरूप

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 🔱 पावन सावन और  शिव का स्वरूप 🔱 — डॉ. धनंजय कुमार मिश्र श्रावण मास का आरम्भ होते ही भारतीय जनमानस की आस्था की धारा जैसे गंगोत्री से फूट पड़ती है। यह मास न केवल ऋतु-सौंदर्य का आलंबन है, वरन् परम तपस्वी, भूतभावन, आशुतोष भगवान रुद्र के प्रति समर्पण का चरम अनुष्ठान भी है। वर्षा की हर बूँद में भक्ति की गूंज सुनाई देती है। आकाश में उमड़ते घन, भूमि की शीतलता, वनस्पतियों का हरापन — ये सब प्रकृति की ओर से भोलेनाथ के स्वागत का भावमय अभिनंदन है। शिव को समर्पित यह महीना ऋचाओं, स्तुतियों, अभिषेकों और जलार्पणों से गुंजरित रहता है। विशेष रूप से रुद्राभिषेक और बेलपत्र अर्पण का जो विधान है, वह शिव-भक्ति की शुद्धतम परम्परा का परिचायक है। कहते हैं — "पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति" — जो भक्तिपूर्वक केवल जल ही अर्पित करे, उसे भी प्रभु स्वीकार करते हैं। सावन में रुद्राक्ष का विशेष महत्त्व है। यह केवल एक प्राकृतिक बीज नहीं, वरन् शिव के नेत्रों की अश्रुधारा का प्रतीक है। रुद्राक्ष धारण करना, उसे माला के रूप में जपना, शिव की उपासना का गूढ़ आध्यात्मिक पक्ष है। तांत्रिक परम्पराओं में...