अभिव्यक्ति की आजादी में भाषाई शुचिता आवश्यक

डॉ धनंजय कुमार मिश्र विभागाध्यक्ष संस्कृत एस के एम यू दुमका ----- भारत अपनी आजादी के अमृत काल में विश्वपटल पर अमिट छाप छोड़ रहा है। विश्व की महाशक्तियां अपनी अदूरदर्शी भौतिकवादी दृष्टि के कारण आज अनेक समस्याओं से जूझ रही हैं और अपने अस्तित्व को बचाए रखना उनके समक्ष एक चुनौती बनी हुई है वहीं भारत अपनी आध्यात्मिकता, विश्वबन्धुत्व और उदारवादी दृष्टि के कारण कुशल नेतृत्व के साथ अखिल विश्व में उम्मीद की किरणें बिखेर रहा है। अफगानिस्तान, यूक्रेन तथा सुडान से अपने नागरिकों को स्वदेश लाने में जहां अनेक देशों की कोशिश नाकाम रही वहीं भारत ने बड़ी कुशलता से अपने नागरिकों को स्वदेश वापसी कराया। इसमें भारतीय नेतृत्व की कुशलता के साथ ही अभिव्यक्ति की शुचिता भी महत्त्वपूर्ण रही। कम शब्दों में अपनी बात दुनियां को समझाना भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर की अद्भुत विशेषता है। मूलतः पारम्परिक नेता नहीं होने पर भी विदेश मंत्री अपनी शैक्षणिक और प्रशासनिक योग्यता से सफलतम विदेश मंत्री सिद्ध हो रहे हैं। अपने प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप भारत के वर्तमान विदेश मंत्री अपनी बात को स्पष्ट रूप...